इस अजीब तरह से होता है पारसी लोगो का अंतिम संस्कार।
हुम् सब लोग जनते है कि पारसी कम्युनिटी के लोग बहोत ही कम है और ये लोग बड़े शांत स्वभाव के होते है, पर हम इनके अजीब तरह की अंतिम संस्कार कि विधि के बारे में शायद ही जानते होंगे।
सभी धर्मों में वैसे तो किसी की मृत्यु पर एक जैसी ही प्रक्रिया होती है, जैसे कि शोक मनाते है प्रार्थना करते है, पर जब पारसी लोगो के मृत शरीर को विलीन करने की बात आती है तब वो सबसे अलग पड़ते है।
इनके मृत शरीर को विलीन करने की असामान्य विधि है जैसे कि सूर्य की किरणें ओर पक्षी जैसे गिद्ध और कौए का खुराख बनाकर उन्हें खाने के लिए छोड़ दिया जाता है, पारसी लोग इसे पुण्य ओर प्रदूषण रहित अंतिम विधि मानते है इसलिए वे ऐसा करते है।
जैसे हिन्दू में अंतिम विधि के स्थल को स्मशान, मुस्लिम ओर ख्रिस्ती में कब्रिस्तान कहा जाता है वैसे पारसीमे अंतिम विधि के स्थान को tower of silence यानी कि शांति का मीनार कहा जाता है। ये अलग अलग शहर में आये हुए है जैसे मुम्बई में हैंगिंग गार्डन के पास डुंगरवाड़ी के जंगल मे तीन जगह पर आये हुए है।
मृत देह को इस जगह रख कर अंतिम संस्कार किया जाता है, ये एक एम्फी थिएटर जैसा होता है जहाँ 250 मृत शरीर के रखने की सुविधा होती है।
पारसीओ की अंतिम विधि का मुख्य आधार गिद्ध पर है जो इस आधुनिक समय मे लुप्त होते जा रहे है, इसी वजह से आज ये लोग मानव निर्मित सोलर उपकरनोसे इस विधि को कर रहे है, पर ये बहुत मंद प्रक्रिया हो जाती है क्योकि गिद्घ के खाने की झड़प ओर सूर्य किरणों से विलीन होनेकी झड़प में बहुत अंतर है। ओर बारिस की ऋतु में तो सोलर उपकरण से ये काम बहोत कठिन हो जाता है।
आज भी यहा पे कौए जैसे पक्षी आते है पर सोलर उपकरण की जलद गर्मी के कारण ये वहा रह नही पाते क्योकि गिध्दों के मुकाबले इनमे कम प्रतिकारक शक्ति होती है।
गिद्ध की खाने की झड़प तेज होने के कारण मृत शरीर जल्दी विलीन हो जाता था और अब ये प्रक्रिया बहोत समय लेती है इस लिए भावनात्मक नजरिए से ये प्रक्रिया कुछ लोगो को पसंद नही आती।
इस वजह से आज पारसी कम्युनिटी को बहोत परेशानी जेलनि पड़ती है।
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