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Politician हमे Emotionaly मूर्ख कैसे बनाते है।

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इसमे कोई संदेह नही है कि हम भारतीय लोग बहोत ज्यादा emotional ओर sensitive होते है, और हमे मूर्ख बनाने के लिए कुछ इमोशनल शब्दो की जरूरत होती है। ज्यादातर इमोशन्स हमारी तार्किक सोच को प्रभावित करती है, ओर इसका नकारात्मक प्रभाव हमारे देश की शांति, सद्भाव, ओर एकता को भंग करती है। हम भारतीय दुसरो को प्रेम और सम्मान देना जानते है, ओर हमारे इस गुण का फायदा सभी राजनेता खुद के निजी स्वार्थ के लिए लेते है।

हमे पाता है की हमलोग इमोशन है और पर  हम इस बातको मनाने से इनकार करते है कि हम एमोसनली मूर्ख बनते है। में यहा पे "मूर्ख" शब्द का प्रयोग इसलिए नही कर रहा कि इससे लोगो की भावनाओ को ठेस पोहचे पर इस लिए कर रहा हु की इससे लोगो की आंखे खोल कर सच्चाई का सामना कर सके। पॉलिटिशियन हमे आसानी से मूर्ख बनाते रहते है, वो हमारे बीच दरार बनाते है ताकि उनका फायदा हो सके। भारत मे पॉलिटिशियन डिवाइड एंड रूल का खेल खेलते है। वे जानते है कि आम आदमी के पास वो ताकत है कि वो देश को बदल सकता है, वो जानते है कि अगर सब आम आदमी मिलकर एक हो जाये तो उनका जीवन सुखी और शांतिमय हो जाएगा, इस लिए वो डिवाइड एंड रूल का खेल खेलते है। ओर इसीलिए वे उनके भाषण में ज्ञातिवाद, कोमवाद ओर धर्म के बारेमे बोलते रहते है। हम धार्मिक लोग है इस लिए धर्म के बारे कोई बोले तो हमे तुरंत असर होता है क्योंकि धर्म सब भारतीयों का इमोशनल ओर सेंसिटिव टॉपिक है। इस लिए सभी राजनेता हमे धर्म के बारे में जूठा भाषण देके हमे मूर्ख बनाते है। हरेक धर्म हमे मानवता, शांति, एकता, ओर भाईचारा सिखाता है, ओर जब हम इन विचार के साथ जीते है तो कोई हमारे देश को सफल होने से नही रोक सकता।

भारत की गणना गरीब देशों में होती है और  ज्यादातर भारतीय गरीबी ओर कुपोषण का शिकार होते है, क्योकि पॉलिटिशियन हमे धर्म की बातों में उलजाये रखते है, वो हमें जातीवाद  ओर कोमवाद से ऊपर ही नही उठने देते, हमारा देश लोकशाही देश है पर कही पे लोकतंत्र नही दिखाई देता, केवल पॉलिटिशियन का राज चलता दिखता है और हरवक्त आम आदमी को मूर्ख बनाते रहते है।

में ये नही कहता के इमोशनल बनाना सही नही है, हमारे देश का इमोशनल स्वभाव ही हमे एकदूसरे से जोड़ के रखता है। पर इसे किसी के कहने से अपने आपको मूर्ख मत बनाओ, किसी भी पॉलिटिशियन को डिवाइड एन्ड रूल का खेल मत खेलने दो, राजनेता सिर्फ उनके फायदे के लिए बोलते है, वो कभी बेरोजगारी, गरीबी, साक्षरता, फुगावा, करप्शन, ओर किशान की आत्महत्या के बारे में कभी गंभीर नही होते। क्यो की इसमे ज्यादा विवाद नही होता इसलिए वो लोग केवल धर्म, जाती और ज्ञाति के बारेमे बोलते रहते है।

राजनेता हमे हरवक्त मूर्ख बनाते रहते है, जब चुनाव आते है तब वो प्रोग्रेस की बाते करते है, हरेक बातो का वो वादा करते है क्योंकि उन्हें हमारा वोट चाहिए, वो बोलते है कि हम बेरोजगारी की समस्या में सुधार लाएंगे, हम महिलाओ की सुरक्षा में बदलाव लाएंगे, हम महिला सुरक्षा कानून में बदलाव लाएंगे, ओर जब चुनाव खत्म हो जाते है तब वो खुद ही बदल जाते है। वो हमारे देश को आगे लाने की वजाए धर्म ओर कॉम की बाते करते रहते है। न्यूज़ चैनल की डिबेट में आकर बिना फालतू की बाते करते रहते है, चुनाव के बाद जो वादे किए थे उसके बारे में कभी नही सोचते ओर अगले चुनाव के बारे में सोचने लगते है।

पोलिटिशन हमे मूर्ख बनाने में सक्षम होते है क्यो की हम उन्हें अनुमति देते है, हमे उनकी जूठी बातो पर पूरा विश्वास होता है, वो हमारी एकताको तोड़ने में सक्षम है क्यो की हमारी अनुमति होती है, किसी भी नकारात्मक प्रचार के जरिये हमारी तार्किक सोच को बदलने की नुमाती नही देनी चाहिए। हमे अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और मानवता, के साथ दयालु ओर सहानुभूति बढ़ानी चाहिए। हमे एकता में विश्वास रखना चाहिए जैसे ही हम विभाजित होंगे हम गिर जाएंगे। हमे अपने देश मे सुधार लाने के बारेमे सोचना चाहिए और हमारे वोट की किम्मत समझनी चाहिए। 

पॉलिटिशियन हमे मूर्ख बनाते है क्योंकि हम उन्हें बनाने देते है, इसलिए ये समज लेना चाहिए कि हमारे पास वो शक्ति है जिससे हम दुनिया बदल सकते है, ओर अपने देश को शांतिमय जिवन जीने की जगह बना सकते है, इस लिए हमे हमारी सोच और मानसिकता में बदलाव लाना होगा, हमे समज जाना चाहिए कि पॉलिटिशियन हमे विवादास्पद टॉपिक पर लडाते रहते है, 


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