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FRUSTRATION (हताशा) का कैसे सामना करे।

https://sanjayharshora.blogspot.com/

दुनिया मे हरेक इंसान का कोई न कोई लक्ष्य या अपेक्सा होती है। और अगर जिस तरह वो इंसान चाहता है उस प्रकार से पूरी नही होती तब उसे बहोत निराशा या हताश हो जाता है।
हर एक इंसान का उसके जीवन के अनुसार कोइना कोई लक्ष्य होता है, उसे अपने चाहने वाले या प्रियजन से कोई न कोई अपेक्षा होती है, हर एक व्यक्ति सफल व्यक्तिगत और व्यावसायिक जिवन चाहता है, पर ये सब अपेक्षा उस व्यक्ति को सही परिणाम नही देते तब वो frustrat हो जाता है।
















लोगो को समय और परिणाम से जुड़ी गलत धारणा के कारण हताशा होती है। लोग मानते है कि वो कड़ी मेहनत और ज्यादा समय अपने काम मे देंगे तो उन्हें सफल जीवन जरूर प्राप्त होगा। ये सही बात है कि सफलता के लिए कड़ी मेहनत बहोत जरूरी है पर उसके सामने ये भी सच्ची हकीकत है कि वो कड़ी मेहनत आप किस काम मे कर रहे हो।
Steve jobe: IF YOU REALLY LOOK CLOSELY MOST OVERNIGHT SUCCESS TOOK A LONG TIME.

इसलिए हताश होने से पहले या उसे छोडने से पहले ये जानले की जिवन में कभी भी सफलता का ग्राफ रैखिक नही होता। परंतु आपको सफलता मिलेगी ये तेय है। ज्यादातर ऐसा होता है कि आपने जो चाहा है वो प्राप्त नही होता, लेकिन जो आपने काम किया है उसके हिसाब से तो आपको सफलता मिलेगी ही। ये भी सफलता ही है। इसी लिए हताश होने से पहले स्मार्ट और कड़ी मेहनत करे। हमारी धरना ही  हमारी हताशा का कारण बनती है, पहले आंतरिक ओर फिर बाहरी नराशा के सीकर होते है। और ऐसी हताशा से हमारा आत्मविश्वास काम होता है।

हताशा के प्रकार अलग अलग लोगो के मुताबिक अलग अलग होते है। पहला प्रकार नेगेटिव है जिससे लोग क्रोधित हो जाते है, हिंसक हो जाते है, चुपचाप बाटे करते है, साइलेंट मोड़ में चले जात्ते है, चिल्लाते है या तो दूसरों की मनोदशा खराब करते है और जिवं के बारेमे नकारात्मक बात करते है। और दूसरा तरीका जो बहोत कम लोग उपयोग करते है वो पॉजिटिव तरीका है। इसमें लोग समाधान की तलाश करते है, वो दुसरो को बुरा बोलना या दोस लगाने में अपना समय बर्बाद नही करते, वो निराश के मूल कारण को नानने का प्रयास करते है, वो लोग परिस्थिति की बहादुरी से सामना करते है। वो लोग कभी भी हताश को अपने आसपास या उनकी मनोदशा पर असर करने की अनुमति नही देते। वो लोग परिणाम के बारे में पॉजिटिव रहते है, वो गेम नाइ खेलते ओर कड़ी मेहनत करते है। ऐसे व्यक्ति ही सफलता के लिए सक्षम बनते है।

अब हम अलग अलग प्रकार की हताश के बारे में जानते है।

1) व्यक्तिगत हताशा:

हताश का पहला कारण व्यक्तिगत है क्योंकि मेरा मानना है कि व्यक्तिगत जीवन बहोत मायने रखता है। इस लिए इसके बारे में समझना भी बहोत महत्व का है काम है। जहै से व्यक्तिगत हताश की शरूआत होती है उसका मुख्य कारण अपेक्षाए है। हम दुराव से बहोत सारि अपेक्षाए रखते है, ओर हैम दुसरो को परफेक्ट बनाना चाहते है।परंतु ये बहोत स्पस्ट है कि परफेक्शन सिर्फ कल्पना है।इसलिए परफेक्शन की अपेक्षा रखने से हताशा होती है। इस लिए ज्यादा अपेक्षाए न रखे, क्यो की ज्यादा अपेक्षाए रखने से आप हताश हो जाओगे ओर आपके रिलेशन में भी मुश्किल लाएगा।

2)विरोधाभासी हताशा:

आजकल कई लोगो के बीच विरोधाभास होता है, जैसे कि कारीगर, मालिक , यात्रिओ के बीच, अजनबीओ के बीच  आदि । आजकल लोग इतने प्रेसर में रहते है जिससे इनकी पर्सनल लाइफ ओर प्रोफेसनल लाइफ में भी विरोधाभासी हताश आ जाती है।
लोग हताश को साथ लेकर यात्रा करते है और उनकी मनोदशा पर हॉक्स निराशा के धक्का लगने से उनकी हताशा ओर ब्ध जाती है। इसलिए पॉजिटिव तरीके से अपनी हताशा वाली भावनाओंको संभाले, हमेशा समाधान की तलाश करे और सकारात्मक मानसिक द्रष्टिकोण रखे।
इसका एक ओर उदाहरण देखे तो आजकल लोग सोशल मीडिया पर किसी को पहचान ते बहु नही उनके साथ अलग अलग विषयो पर टिप्पणी कर के लड़ते रहते है, ओर इसके बाद यह लड़ाई हताशा का कारण बनती है। और वो पूरा दिन इसके बारेमे ही सोचते रहते है।


3)दबाव की हताशा:
http://www.wolverhamptonhypnotherapy.co.uk/work-related-stress.html

प्रेरित करना और दबाव डालने इन दोनों में बड़ा अंतर है। कि कंपनीओ में ऊपरी अधिकारी उनके नीचे काम करने वालो को प्रेरणा देते है। प्रेरणा बहोत सकारात्मक होती हो और लोगो को आधी काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है, ओर इ से लोगो को उनकी क्षमता समाज अति है। ओर प्रेरणा कम हो जाने से मानसिक दबाव उत्पन्न होता है, मानसिक दबाव और वर्कलोड हताशा में बदल जाती है।
उदाहरण के रूप में देखे तो दबाव हताश दोनो तरफ से हो सकती है जैसे कि विद्यार्थी को ज्यादा होमवर्क देना और असाइनमेंट देना ये शिक्षक की तरफ से दबाव हताश हुई। लेकिन बिना काम की चीज़ों में वक्त बर्बाद करने की वजाए अंतिम समय तक विद्यार्थीओ को शिक्षा देंने को ये वोद्यार्थी की तरफ से शिक्षक को दबाव है।

4)पर्यावरणीय हताशा:

हा दोस्तो पर्यावरण भी हताशा की लिए बहोत बड़ी भूमिका निभाता है। हम अगर पॉजिटिव है और आनंददायक वातावरण में रहते है तो हमारे लिए पॉजिटिव रहना और भी आसान हो जायेगा। लेकि हम अगर नकारात्मक वातावरण में रहते है जहाँ लोग जुथ बोलते है या छोटी छोटी बातों में लड़ते है, या हंमेशा नकारात्मक बाटे करते है, या मेहनत से ज्यादा अपने भाग्य में विश्वास करते है तब हताश होना बहोत आसान हो जाता है। इस लिए पर्यावरण बहुत महत्व रखता है। अच्छा वातावरण आपको पॉजिटिव बनाता है, जबकि नेगेटिव वातावरण आपको हताश देता है।

पॉजिटिव वातावरण और आपके आसपास सही लोग ओर सही वातावरण का चयन करना आपके जीवन को शांतिमय ओर खुशहाल बना सकता है।

Thank you dosto. I hope this post is helpful for you.

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